मौत!!
तू सम्पूर्ण
शक्तिमान!
तो
निरीह मैं भी नहीं,
कायर...
चुपके से वार करती है??
छीन ले गयी
एक एक कर
जाने कितने प्रिय!
खांसता बाप
आंसू बहाती माँ...
जवान बिटिया को आग मे झुलसाते
शर्म नहीं आई तुझे??
चोट्टी
ढाई बरस की बिटिया पे वार करके
कौन सा मेडल हाशिल किया?
अब
आ...
मैं भी तैयार हूँ
देख लूँगा
बेशक तू ही जीतेगी
लेकिन
तेरी क्रूरता के लिए
मैं लडूंगा तुझसे!!
*amit anand
गजब का लिखते हो यार...एक-एक शब्द बहुत कुछ कह रहा है...
ReplyDeleteमैं भी तैयार हूँ
देख लूँगा
बेशक तू ही जीतेगी
लेकिन
तेरी क्रूरता के लिए
मैं लडूंगा तुझसे!!
ब्लॉग की ये थीम बहुत ही चित्ताकर्षक है...
ReplyDeleteमैं लडूंगा तुझसे
ReplyDelete.
मौत!!
तू सम्पूर्ण
शक्तिमान!
तो
निरीह मैं भी नहीं,
कायर...
चुपके से वार करती है??
छीन ले गयी
एक एक कर
जाने कितने प्रिय!
खांसता बाप
आंसू बहाती माँ...
जवान बिटिया को आग मे झुलसाते
शर्म नहीं आई तुझे??
चोट्टी
ढाई बरस की बिटिया पे वार करके
कौन सा मेडल हाशिल किया?
अब
आ...
मैं भी तैयार हूँ
देख लूँगा
बेशक तू ही जीतेगी
लेकिन
तेरी क्रूरता के लिए
मैं लडूंगा तुझसे!!
*amit anand
आप सैनिक सी जिजीविषा वाले बेबाक रचनाकार हैं, आपका स्वागत. ऐसे ही लिखते रहें.
ReplyDeleteयही सोच और विश्वास बना रहे - हार्दिक शुभकामनाएं - - शानदार रचना के लिए बधाई
ReplyDeletejai shri krishna...maut se ldaayi?? yhaan jindgi se bhi lagta hain ki lad hi rahe hain......khair bhtTEZ likha hian....
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
जिन्दा लोगों की तलाश!
ReplyDeleteमर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=
सच में इस देश को जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।
हमें ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो, लेकिन इस जज्बे की आग से अपने आपको जलने से बचाने की समझ भी हो, क्योंकि जोश में भगत सिंह ने यही नासमझी की थी। जिसका दुःख आने वाली पीढियों को सदैव सताता रहेगा। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।
इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।
अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।
आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-
सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-
(सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
---------------------------------
http://baasindia.blogspot.com/
http://presspalika.blogspot.com/
aap biti ka varnan laga mujhe ye...magar dil se likha hai
ReplyDeleteखांसता बाप
ReplyDeleteआंसू बहाती माँ...
जवान बिटिया को आग मे झुलसाते
शर्म नहीं आई तुझे??
बहुत खूब लिखा है | दिल के अहसास को बयां करने का अंदाज़ पसंद आया | शुभकामनायें ऐसे ही लिखते रहिये |
कभी हमारे ब्लॉग पर भी आयें -
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
http://mirzagalibatribute.blogspot.com/
http://khaleelzibran.blogspot.com/
ब्लॉग जगत में स्वागत है...अच्छा लिखे,खूब लिखें और बाकी को भी पढ़ें ...यही शुभकामनायें
ReplyDeletewww.jugaali.blogspot.com
bahut khub amit jee
ReplyDeleteजयतु विश्वविद्यालय काशी
with warm regards,
Dileep Kumar
Research Fellow,
Pharmaceutical Chemistry Research Lab
Department of Pharmaceutics,
Institute of Technology,
Banaras Hindu University,
Varanasi - 221 005. (U.P)
INDIA
Lab. No.: +91-542-6702749
Mobile No:+91-7607615137
Email: dileep.0@gmail.com
Web : http://www.itbhu.ac.in
Bahut bahut umdaa Amit Ji. hats off!! creative writing!
ReplyDeleteइस चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeletebahut hi umda rachna hai .... aapki jijivisha ko salam.
ReplyDeletebrilliant amit.
ReplyDelete..
Deep
aapki rachna mann ko chhoo gayee. aapki aisi ladai aapke sang asankhya sainikon ko laa khada karegi. shubhkaamnaayen.
ReplyDeletebahut khubsurat rachna
ReplyDeleteशब्द पुष्टिकरण हटा दें तो टिप्पणी करने में आसानी होगी ..धन्यवाद
ReplyDeleteवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया