Friday, June 4, 2010

अकेला उदास तारा


एक तारा
मेरी कल्पना के आसमान से
टपक आया रात
मेरी सूनी छत पर!
अकेला उदास तारा
छटपटाता रहा पूरी रात...
किसी अबोले बच्चे की तरह कराहा भी!
और
मैं टाँकता ही रहा एक और सितारा
अपनी कल्पना के आसमान पर
आज पूरी रात!
!
*amit anand

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