Thursday, January 6, 2011

कन्या-भ्रूण

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मत रोको माँ!
मुझे मिट जाने दो

ताकि

इस अग्निपरीक्षा से

गुजरना न पड़े मुझको,

मिट ही जाने दो

इस अबोली/ अदेखी को

ताकि

बार बार मिटने का
दुःख
बाकी न रह जाए

तुम्हारी तरह!


मत रोको माँ!


अपनी कोख की तरफ बढ़ते

इन हत्यारे हाथों को,


अलबत्ता
रोक लो
ये आंसू...
ये छटपटाहट

क्योकि-

इनमे तुम मुझे छिपा नहीं पाओगी

मैं

अपूर्ण ही सही
पहचान ली गयी हूँ!!

*amit anand

1 comment:

  1. aapne sahi kaha pata nahi log kaise apna hi ansh mita dete hain... dil ko chu lene waali rachna ...
    amit apna word verification hata do ... usse comment karne mein aasani hoti hai ...

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