आज-कल
बड़े
एहतियात से
घोलते हों
तुम
रंग
माटी के दीये मे,
और
लाल रंग
तुम्हारी उँगलियों के पोर छू
महावर बन जाता है,
मेरे
आँगन मे
तुम्हारे शुभ पाँव
उभर आते हैं!
*amit anand
बड़े
एहतियात से
घोलते हों
तुम
रंग
माटी के दीये मे,
और
लाल रंग
तुम्हारी उँगलियों के पोर छू
महावर बन जाता है,
मेरे
आँगन मे
तुम्हारे शुभ पाँव
उभर आते हैं!
*amit anand
मन के भावो को शब्दों में उतर दिया आपने.... बहुत खुबसूरत.....
ReplyDeletekkyakhoobsurati hai lavzon...amazing!!
ReplyDeleteabhaar
naaz
वाह.....
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर....
अनु
अच्छा लिखते हैं आप..लिखते रहिए..
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