शायद....
करमजली .... दोनों बच्चों का भी नहीं सोचा
और
चली गयी उस मुंह झौंसे हलवाई के लौंडे के साथ!
सही किया
कौन सा मैं ही ब्याह के लाया था
कलकतिहा मेहरारू का कौन भरोसा
जैसे आई थी
वैसे ही गयी न!
अब?
दूनो नन्ह्कों का क्या होगा
(जूते की शोल पर कील ठोंकते मंगरू मोची की उधेरबुन)
होना का है
अबकी खरीदते वखत जांच परख के लायेंगे
ताकि फिर न भाग सके
नौकी मेहरारू!!
"और ठोंक दिया एक और कील फटे जूते की शोल पर"
*amit anand
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