तुम नहीं भी आओगे.....
तुम नहीं भी आओगे
तो
कुछ भी बिगड़ेगा नहीं!
अलगनी पर टंगे कपडे
बिखरे बर्तन
बड़ी दाढ़ी
बच्चों की फटी किताबें
सब जस की तस रहेंगी!
तुम नहीं आओगे
तब भी!
तब भी मेरे दरवाजे पर आएगा
बूढ़ा भिखारी
उसकी सारंगी
गाएगी दर्द राग...
तब भी चिड़ियाँ
आएँगी मुंडेर पर!
तुम नहीं आओगे
तब भी
चलेंगी साँसे
दुनिया रुकेगी नहीं
बस
थम जाएगा मेरी कल्पना का ज्वार
रुक जायेंगे मेरे शब्द
ठहर जायेंगे मेरे भाव
सच मानो
तुम नहीं आओगे
तो मेरे अलावा
कुछ भी नहीं
बिगड़ेगा!!*amit anand
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