अरसे से
नहीं आया
कोई "बहेलिया"
जाल बिछाने / दाना डालने,
वर्त्तमान का मैदान
सूना पड़ा है,
मन के पाखी
आतुर हों
छटपटाते हैं....
बंधन .............
नहीं आया
कोई "बहेलिया"
जाल बिछाने / दाना डालने,
वर्त्तमान का मैदान
सूना पड़ा है,
मन के पाखी
आतुर हों
छटपटाते हैं....
बंधन .............
bhyia kahan hain app aajkal bilkul gayab
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