Thursday, May 24, 2012

महावर



आज-कल
बड़े
एहतियात से
घोलते हों
तुम
रंग
माटी के दीये मे,

और
लाल रंग
तुम्हारी उँगलियों के पोर छू
महावर बन जाता है,

मेरे
आँगन मे
तुम्हारे शुभ पाँव
उभर आते हैं!

*amit anand

3 comments:

  1. kkyakhoobsurati hai lavzon...amazing!!

    abhaar

    naaz

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  2. वाह.....
    बहुत बहुत सुन्दर....

    अनु

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  3. अच्छा लिखते हैं आप..लिखते रहिए..

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