Wednesday, June 9, 2010

क्या हुआ कि.......



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क्या हुआ कि-
आज पिछली रात रमुआ मर गया!!

उसकी लाठी की ठक-ठक
कभी कभी गूंजती
सीटियों की आवाज.....
जागते रहो का अलाप!!
सब गुम हो गए!

हमारी बेफिक्र नींद के लिए
जागता
"रमुआ"
कल रात नशे मे धुत्त एक "वर्दी" की
गोली से मर गया!!

तो
क्या हुआ
महीने की एक सुबह को दिखनेवाला
"रमुआ"
नहीं रहा अगर!!

फिर कोई नया
बहादुर..... कल्लू..... मल्लू
कोई भी
आएगा नया चौकीदार
"और हम फिर सोयेंगे बेफिक्र नीद"

क्या हुआ कि.......

*amit anand

3 comments:

  1. सही कहा आपने...
    ---------------------
    फिर कोई नया
    बहादुर..... कल्लू..... मल्लू
    कोई भी
    आएगा नया चौकीदार
    "और हम फिर सोयेंगे बेफिक्र नीद"
    ----------------------
    इस संवेदना को नमन....
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