तीन-चार लड्डू
दो केले
भर पेट पूरियां,
दो तीन तरह की तरकारियाँ
मसालेदार भात,
आँखों मे कुल्मुलाता है
बड़का दुआर .....
उनका नन्हका
और सजा हुआ गुब्बारा
चमक जाता है,
आज बड़के बउवा के घर
उनके नन्ह्के का
जनम दिन है,
लड़का-जनम दिन
बुदबुदाती है
लम्बी सांस खींच,
नेपथ्य सिसकता है
पिछले साल हैजे मे चल बसा मरद
और
बम्मई भागा संवारका बेटा याद आता है,
होली मा उहौ
बाईस केर पूर होत,
सुरपतिया सिर झटक के
भुला देती है
बीत चुका अतीत,
कल के सपने देखती है
वैधव्य मे भी प्रणय गीत गाती है,
शाम की दावत मे
गाने को
एक सोहर गुनगुनाती है,
"सुरपतिया"
मगन मन सफ़ेद बालों मे लाल फीते लगाती है !
*amit anand
दो केले
भर पेट पूरियां,
दो तीन तरह की तरकारियाँ
मसालेदार भात,
आँखों मे कुल्मुलाता है
बड़का दुआर .....
उनका नन्हका
और सजा हुआ गुब्बारा
चमक जाता है,
आज बड़के बउवा के घर
उनके नन्ह्के का
जनम दिन है,
लड़का-जनम दिन
बुदबुदाती है
लम्बी सांस खींच,
नेपथ्य सिसकता है
पिछले साल हैजे मे चल बसा मरद
और
बम्मई भागा संवारका बेटा याद आता है,
होली मा उहौ
बाईस केर पूर होत,
सुरपतिया सिर झटक के
भुला देती है
बीत चुका अतीत,
कल के सपने देखती है
वैधव्य मे भी प्रणय गीत गाती है,
शाम की दावत मे
गाने को
एक सोहर गुनगुनाती है,
"सुरपतिया"
मगन मन सफ़ेद बालों मे लाल फीते लगाती है !
*amit anand
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