दस दिन हुए
नहीं खायीं तरकारियाँ
स्वाद भूल गया दाल का
भूखा पेट है?
मत रो
मत चिल्ला..
जोर से खखार
"बीडी" जला!
भूल जा गाँव के खेत
नदी के किनारे
और
रेत
अम्मा का चश्मा
बिटिया की गुडिया
घरैतिन की चूड़ी
भूल,
उठ पुल से
हाथगाड़ी खींच
पसीना पोंछ
जोर लगा
"बीडी" जला,
शहर आने को
साहूकार का उधार,
भूल जा
मर गया बाप बीमार
भूल जा पनघट
डोली
गाँव की गीत गाती
होली,
शहर के नाले मे कूद
डूब-उफन
कुलमुला...
"बीडी जला"
*amit anand
नहीं खायीं तरकारियाँ
स्वाद भूल गया दाल का
भूखा पेट है?
मत रो
मत चिल्ला..
जोर से खखार
"बीडी" जला!
भूल जा गाँव के खेत
नदी के किनारे
और
रेत
अम्मा का चश्मा
बिटिया की गुडिया
घरैतिन की चूड़ी
भूल,
उठ पुल से
हाथगाड़ी खींच
पसीना पोंछ
जोर लगा
"बीडी" जला,
शहर आने को
साहूकार का उधार,
भूल जा
मर गया बाप बीमार
भूल जा पनघट
डोली
गाँव की गीत गाती
होली,
शहर के नाले मे कूद
डूब-उफन
कुलमुला...
"बीडी जला"
*amit anand

kya likha hai Amit ji....behtareen...
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