पहाड़ी मैना
तुम्हारी लाल चोंच याद आती है,
याद आता है
तुम्हारे स्निग्ध परों का फैलाव
तुम्हारी गोल मासूम आँखें
तुम्हारी मटकती गर्दन
टप्प हिलती तुम्हारी पूँछ,
तुम्हारे गीत याद आते हैं
पहाड़ की मैना,
मैंने
आज फिर रचे हैं कुछ नए गीत
जिसमे पहाड़ हैं
नदियाँ/झरने
और
देवदार हैं,
मैना
तुम्हारी जादुई आवाज मे सुनना है
मुझे
मेरा गीत,
सुनो
मैं तुम्हे अपना गीत भेजता हूँ
तुम
बस
अपना पता बता दो!
*amit anand
तुम्हारी लाल चोंच याद आती है,
याद आता है
तुम्हारे स्निग्ध परों का फैलाव
तुम्हारी गोल मासूम आँखें
तुम्हारी मटकती गर्दन
टप्प हिलती तुम्हारी पूँछ,
तुम्हारे गीत याद आते हैं
पहाड़ की मैना,
मैंने
आज फिर रचे हैं कुछ नए गीत
जिसमे पहाड़ हैं
नदियाँ/झरने
और
देवदार हैं,
मैना
तुम्हारी जादुई आवाज मे सुनना है
मुझे
मेरा गीत,
सुनो
मैं तुम्हे अपना गीत भेजता हूँ
तुम
बस
अपना पता बता दो!
*amit anand
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