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उफनते दूध सी
तुम्हारी नेह...
ढलकती ही रही बार बार
और
सारे गिले शिकवे
प्यार मनुहार ,
बहते रहे...
बहती रहीं सुधियाँ
स्नेह
आलिंगन
स्पर्श ....
सब कुछ
और
आखिर मे
परिस्थिति के चूल्हे पर
देह का खाली बर्तन
सूना पड़ा था!!
*amit anand
उफनते दूध सी
तुम्हारी नेह...
ढलकती ही रही बार बार
और
सारे गिले शिकवे
प्यार मनुहार ,
बहते रहे...
बहती रहीं सुधियाँ
स्नेह
आलिंगन
स्पर्श ....
सब कुछ
और
आखिर मे
परिस्थिति के चूल्हे पर
देह का खाली बर्तन
सूना पड़ा था!!
*amit anand
kamaal Bhaaii.
ReplyDeletewah
ReplyDeleteitne chhote chhote shabd
ReplyDeletepar har shabd se aatmiyata chhalkte hain..:)