Thursday, July 22, 2010

सपने

दिन भर का थका हारा
"मोलाई"
रात लौटता है
अपने पांच गुना दस की पन्नी मे,

अपने सारे सपने उतार फेंकता है
दिन भर की मैल की तरह
और
नमक प्याज के साथ
तीन दुहाट्ठी रोटियाँ खा
मोलाई
तान लेता है
बेफिक्री की चादर!

कल के सपनो के लिए
मन मे
जगह जो बनानी है!!

*amit anand

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