चिप चिपाती उमसती
चिडचिडी दोपहरी में
सरपतों की फुनगियों से लगे
चीरे की तरह
तुम्हारी याद!!
अकारण!
चटकती ज़मीन
दरारों भरे खेत पर
आवारों बादलों के झुण्ड सी
तुम्हारी स्मृतियाँ!!
अर्थहीन!!
ऊब सी है
तुम्हारी याद
तुम्हे सोचना
अब "टाइम पास" लगता है,
मीत मेरे
मान लो
की-
तुम्हे अब
"खो चुका हूँ मैं"
*amit anand
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