पथराये सपने
Tuesday, April 12, 2011
अपने हिस्से का चाँद
उसने
अपने कान से उतारी
आधी बीडी
और
मांग के लाया
सूरज से
आंच
सुलगाये अपने
तमाम अरमान
बीडी के साथ ,
एक गहरी कस ले
वो
तन...
खड़ा हुआ,
सुना है
उसे
अपने हिस्से का चाँद चाहिए!!
*amit anand
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment