
रमरजिया!
भूल कर भी नहीं जाती
गाँव के पश्छिम के
महुआ बाग़ मे,
सुना है उधर कोई भूत रहता है!
रामजिया ने
देख रखा है-
अपनी बुआ का
विक्षत शरीर...
अर्ध पागल हुयी माँ का दर्द...
गदरू के छोटकी की
कटी जुबान,
रमरजिया
कांप जाती है
करिक्के महुए के नाम से ही,
रमरजिया
परेशान हो उठती है
तमाम प्रश्नों के साथ
जब
रातों को चीखती उसकी
अर्ध पागल माई
कराह उठती है
"तुम .... तुम ही हो ना छोटके चौधरी"
और
पूरी रात
चौधरी के अहाते का
महुआ बाग़
और करिक्का महुआ
घूमता रहता है
रमरजिया के मासूम प्रश्नों के आस-पास!!
*amit anand
रमरजिया
ReplyDeleteकांप जाती है
करिक्के महुए के नाम से ही,
रमरजिया
परेशान हो उठती है
तमाम प्रश्नों के साथ
जब
रातों को चीखती उसकी
अर्ध पागल माई
कराह उठती है
"तुम .... तुम ही हो ना छोटके चौधरी"
और
पूरी रात
चौधरी के अहाते का
महुआ बाग़
और करिक्का महुआ
घूमता रहता है
रमरजिया के मासूम प्रश्नों के आस-पास!!
wakai aisa hi hota hai .............dil ko chu gayi aapki ye rachna
Waikayi amit babu mast lag raha hai........
ReplyDelete