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तुम
रात फिर आयीं थीं
शायद!!
मैंने
महसूस किया था
बुखार से तपते अपने माथे पर
तुम्हारी
ठंढी छुवन!
सिरहाने रखा
पानी का गिलास!
सीने पर लुढ़क आई
ऐनक,
तकिये के पास बिखरी
डायरी,
सब
तुम्हारे यहाँ आने की
गवाहियां दे रहे थे
आज सुबह!
*amit anand
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तुम
रात फिर आयीं थीं
शायद!!
मैंने
महसूस किया था
बुखार से तपते अपने माथे पर
तुम्हारी
ठंढी छुवन!
सिरहाने रखा
पानी का गिलास!
सीने पर लुढ़क आई
ऐनक,
तकिये के पास बिखरी
डायरी,
सब
तुम्हारे यहाँ आने की
गवाहियां दे रहे थे
आज सुबह!
*amit anand